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500 कहानियाँ

इतने में धर्मेंद्र वहां आता है और कहता है -"तुम सभी, मुझे ऐसे क्यों देख रहे हो"?

"क्योंकि तुम्हारे काले कारनामों का पता, सबको चल गया है, क्या कमी थी, मेरे प्यार में जो तुमने इतनी गिरी हुई हरकत की, मैं अपनी सहेलियों से कहती थी कि मेरा पति, आलसी है, कामचोर है, मंदबुद्धि है पर कैरक्टरलेस नहीं है, अगर तुम किसी कुंवारी लड़की को भगा कर ले जाते तो मैं, तुम्हें माफ कर देती, पर तुम आठ बच्चों की मां को को भगा कर ले गए, अरे उसके एक दो बच्चे तो तुम्हारी उम्र के होंगे"! शांति ने कलपते हुए कहा

"तभी मुच्छड़ लाल, धर्मेंद्र की गर्दन, अपने हाथ में दबोच कर उसे जमीन से उठा देता है और पूछता है -"बता, हेमा कहां है"?

"हेमा, धर्मेंद्र के साथ है"? धर्मेंद्र ने कहा

"तो तू कौन हैहै, मरीश पुरी, बता मेरी पत्नी, हेमा कहां है"? 

"तुम्हारी पत्नी का मुझे क्या पता"? धर्मेंद्र ने लड़खड़ाते शब्दों में कहा

"सुबह तेरे नंबर से मेरी पत्नी ने फोन लगाया था फिर 12:00 बजे तूने फोन लगाया और तुम 5:00 बजे नौ दो ग्यारह हो गए, मुझे सब पता चल गया है"! मुच्छड़ ने गला दबाते हुए कहा

"अरे काका, वह मैं नहीं, कोई और है, उसका नाम भी धर्मेंद्र है और उसने भी आज, मेरे जैसे ही कपड़े पहन रखे है"!

"मुझे बेवकूफ बना रहा है"!

"सच बता रहा हूं, मेरे पास उसके नंबर है, अभी उसे फोन लगाकर पूछता हूं"!

फिर धर्मेंद्र उसे फोन लगता है ओर पूछता है -"कहां हो भाई,"?

तब वह बताता है -"दोस्त, मैंने आज गांव से एक लड़की को भगाया है, पहाड़ी वाले मंदिर पर उससे शादी कर रहा हूं, तुम भी आ जाओ, आज यही पार्टी करेंगे"!

फिर फोन काटने के बाद धर्मेंद्र कहता है -"पहाड़ी वाले मंदिर पर चले जाओ और असली धर्मेंद्र को पकड़ो"!

वह मुच्छड़, धर्मेंद्र की गर्दन को छोड़ता है और वहां से चला जाता है

फिर धर्मेंद्र लंबी-लंबी सांस लेकर, अपनी सांसों को संतुलित करता है

"अरे वाह, जमाई जी, आज आपने दिल जीत लिया, मुझे पता था, मेरा जमाई ऐसी छिछोरी हरकत नहीं कर सकता  इस बात पर हो जाए दो-दो पैक"! ससुर ने कहा

"भगाकर नहीं ले गए तो क्या हुआ, सुबह छिछोरी हरकतें कर रहे थे, तुम्हारे जमाई, हेमा काकी के साथ, मैंने अपनी आंखों से देखा है और तुम्हारी तबीयत खराब है और तुम पैक मारने की बात कर रहे हो"! शांति ने कहा

"अरे बेटी, चाय के पैक की बात कर रहा हूं"!

"क्या जरूरत थी, हेमा काकी से बात करने की और यह बताओ, तुमने उन्हें फोन क्यों लगाया था"? शांति ने पूछा

"अरे यार, पापा की बोतल लेने वाइन शॉप गया था"! धर्मेंद्र ने कहा

"क्या"? शांति ने आश्चर्य से पूछा

"अरे, मेरा मतलब, ससुर जी की दवाई लेने दवाखाना गया था तो वहां इसका आशिक मिला और उसने मुझसे कहा, मेरी बहन की तबीयत खराब है, फोन लगाने के लिए मोबाइल दे दो"! धर्मेंद्र ने बताया

"बस, ठीक है, ठीक है, मैंने कपड़े धो कर रख दिए हैं, उन्हें छत पर जाकर डाल दो और चिमटी लगाना मत भूलना, मैं जब तक सफाई कर लेती हूं"! शांति ने धर्मेंद्र की बात काटते हुए कहा

"मुझे बहुत जोर से भूख लग रही है, सुबह से कुछ नहीं खाया है"! धर्मेंद्र ने कहा

"खाया नहीं तो पिया जरूर होगा, पड़े होंगे किसी गटर में, दवाई लाने में सुबह से शाम कर दी और खाना खत्म हो गया है, तुम कपड़े डाल आओ, फिर बर्तन धो देना और घर की सफाई कर देना, जब तक मैं खाना बना दूंगी"! शांति ने कहा

"भूखे पेट भजन नहीं होते हैं, मैं इतना सारा काम कैसे करूंगा"? धर्मेंद्र ने पूछा

"कोई कुंटलो के ठेले नहीं उठाने हैं, फूल जैसे कपड़ों को सुखाना है, चांदी के जैसे बर्तनों को धोना है, और चिमटी भर कचरा साफ करना है"! शांति ने कहा

"अरे ससुर जी, थोड़ी हेल्प करा दो"! धर्मेंद्र ने कहा

"जमाई जी, मेरी तबीयत बहुत खराब है, मुझे, मेरी दवाई दे दो"! ससुर ने धर्मेंद्र से बेग में रखी शराब की बोतल लेते हुए कहा

फिर धर्मेंद्र फटाफट कपड़े डालता है, बर्तन साफ करता है, और झाड़ू लगाकर खाना बना रही शांति से कहता है

-"फटाफट खाना परोस दो, मुझे बहुत जोर से भूख लग रही है"!

"अरे, अभी तो सिर्फ सब्जी की को कढ़ाई में रखा है, 2 घंटे लगेंगे, जब तक तुम आटा लगा दो"! शांति ने कहा

"अरे यार, मैंने कपड़े सुखा दिए, बर्तन धो दिए, झाड़ू मार दी और तुमने अभी तक खाना नहीं बनाया, क्या कर रही थी इतनी देर से"? धर्मेंद्र ने पूछा

"सब्जियों को धोया, उन्हें साफ किया, फिर काटा और अब कढ़ाई में रखा है, सब्र करो, सब्र का फल मीठा होता है"! शांति ने कहा

"मैंने तीन घंटे तक, भूखे पेट काम किया और अब और सब्र करु, गजब करती हो यार, तुम"! धर्मेंद्र ने चिढ़ते हुए कहा

'अरे, थोड़ा भूख रहोगे तो मर नहीं जाओगे, चर्बी कम हो जाएगी तुम्हारी"! शांति ने कहा

"और कितना दुबला करोगी मुझे, चर्बी होगी तो घटेगी"!धर्मेंद्र ने बताया

"तुम्हारे दिमाग पर जो फालतू की होशियारी की चर्बी चढ़ी है, उसकी बात कर रही हूं और प्लीज, मेरा पहले ही सिर दर्द कर रहा है, चुपचाप खाना बना लेने दो, नहीं तो अभी जाकर सो जाऊंगी और तुम ही से सर की मालिश कर आऊंगी"! शांति ने धमकी देते हुए कहा

"सुबह की एक दो बासी रोट रोती हो तो दे दो, अचार से खा लूंगा, भूख बहुत जोर से लग रही है"! धर्मेंद्र ने कहा

"नहीं है, और प्लीज तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं, मेरा सर मत खाओ, खाना बन जाएग तो तुम्हें बुला लूंगी"! शांति ने कहा

धर्मेंद्र दूसरे कमरे में आता है, जहां उसका ससुर पैक लगा रहा है

"ससुर जी, थोड़ा खारमंजन हो तो दो यार, बहुत जोर से भूख लग रही है"!

"खारमंजन के साथ, वह लोग शराब पीते हैं, जिनके जिगर में शराब की गर्मी सहन करने की हिम्मत नहीं होती, मैं तो नीट पीता हूं, वह भी बिना खारमंजन के"! ससुर ने कहा

"नीट पियोगे तो किसी दिन निपट जाओगे"! धर्मेंद्र ने कहा

"अरे, मरे मेरी, बेटी के दुश्मन, खारमंजन तो नहीं है, शराब है, बनाऊं एक पैक"!ससुर ने पूछा

"सुबह से कुछ भी नहीं खाया है, खाली पेट शराब पी ली तो पेट की नसें जल जाएगी, अब तक तो खाना बन गय गया होगा, अभी देख कर आता हूं"!

फिर धर्मेंद्र किचन में आकर देखता है, शांति बने बनाये खाने को कचरे की बाल्टी में डाल रही है, यह देखकर धर्मेंद्र पूछता है -"पागल हो गई हो क्या"? "बने-बनाये खाने को क्यों फेंक रही हो"?

"पागल होगा, तुम्हारा खानदान, अभी मेरी सहेली का फोन आया था, उसने बताया, आज एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए, जो आज के दिन चावल खाता है, वह किड़ों को खाता है और उसने आज की एकादशी का महत्व भी बताया, कि जो परिवार एकादशी का व्रत करता है, उनका पूरा साल, सुख, शांति से गुजरता है, घर में क्लेश नहीं होता, दरिद्रता भी नहीं आती, इसीलिए आज हम सब व्रत करेंगे और सुबह तक कुछ नहीं खाएंगे और ना कुछ पियेंगे"! शांति ने बताया

शांति की यह बात सुनकर धर्मेंद्र वही चक्कर खाकर बेहोश हो जाता है!

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4 Comments

kashish

24-Sep-2023 12:44 PM

Fantastic

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madhura

24-Sep-2023 10:52 AM

Awesome part

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Anjali korde

17-Sep-2023 08:16 AM

Amazing

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